Monday 8 September 2014

Vidai Shiksha (विदाई शिक्षा ) POEM No. 187 (Chandan Rathore)


POEM NO. 187
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विदाई शिक्षा
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छोड़ चली बाबुल का घर ओ बहना
कुछ बातें याद तू रखना
तुझे अब पिया घर रहना
बंध चली सात फेरों में तेरी जिंदगानी
ख़ुशी ख़ुशी पिया संग रहना

सास ससुर को पिता माँ सा देना तू सत्कार
ननद को रखना तू दिल के पास
हर दम पिया कहे चलना
छोड़ चली बाबुल का घर ओ बहना
कुछ बातें तू याद रखना

भूल हो जाए भूल से तो माफ़ी में ना चूकना
अपने कूल की मर्यादा को हमेशा बनायें रखना
छोटे हो तुझसे उनको हर दम सही राह दिखाना
बड़े बुजुर्गो की सेवा में अपना समय बिताना
छोड़ चली बाबुल का घर ओ बहना
कुछ बातें तू याद रखना

सर ऊँचा हो पुरे परिवार का इस राह पे चलना
कोई कहे भला बुरा तो उसे पानी के गुठ सा पी जाना
अन्याय हो अगर तुझ पे तो उस बात को कभी ना आगे बढ़ाना
नेकी, साहस, समझदारी से अपना परचम लहराना

निंदा, भय, कष्टों से तू ना घबराना
आग में तपती है नारी ये भूल ना जाना
अच्छी बेटी है तू अब अच्छी बहु बन के दिखाना
छोड़ चली बाबुल का घर ओ बहना
कुछ बातें तू याद रखना 

कुछ भी कष्ट हो हर दम मुस्कुराना
पति की सेवा ही पहला धर्म है, ये भूल ना जाना
अगर पति गलत राह पकड ले तो तू सही राह दिखाना
धीरज, संतोष से अपना धर्म निभाना
सब सोये हो सुबह तू जल्दी उठ जाना
सब के लिए स्वादिष्ट भोजन तू पकाना
छोड़ चली बाबुल का घर ओ !! बहना
कुछ बाते याद तू रखना

दूल्हे राजा सुनो तुम भी क्या क्या धर्म निभाना है
काम काज का लेखा-जोखा सब अर्धांगिनी को भी बताना है
देश विदेश जाओ तो धर्मपत्नी को भी साथ ले जाना है
अब तक थे अकेले आज दो जान एक हुई हर दम साथ निभाना है 

खुशियाँ ही खुशियाँ हो अब दोनों के जीवन में ये दुआएँ हम करते है
ओ !!! दूल्हे राजा जी अब अच्छे कामों में दिल लगाना है
याद रहे नोक-झोक चलती रहे पर पत्नी का दिल ना दुखाना है
दूल्हे राजा तुम्हें भी ये सब धर्म निभाना है 

मुसीबत आन पड़े कोई तो दोनों को मिलकर निपटाना है
बन के दो बगियाँ के फूल तुम्हें संसार चलना है
दूल्हे राजा हो आप सब काम जट से निपटाना है
राजा की रानी को अब हर सुःख दे कर उसी संग चलना है 
छोड़ चली बाबुल का घर ओ !! बहना
ये सब बातें याद तू जरूर रखना 

आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

05:55am, Sat 01-02-2014 
(#Rathoreorg20)
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