Friday 26 September 2014

Naa Pucho Is Diwane Se ( ना पूछो इस दिवाने से ) POEM NO. 192 (Chandan Rathore)


POEM NO.192
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ना पूछो इस दिवाने से 
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तन्हाई के मंझर पर गुझर रहे हो आप
तनहा खुद होकर भी हमसे पूछ रहे हो आप

हम क्या बताये आप की तन्हाई का मंझर
सब कुछ पास होके भी मेरे दिल है बंझर

तुम्हारे सवालों के जवाब आज भी मिलते नही
बता तो सब दे पर ये दिल गवा देता नही

ना पूछो अब इन हवाओं से की हम आज भी तुम्हारे है
ना पूछो इस ज़माने से की आज भी मेरे सपने तुम्हारे है

ना पूछो इस महखाने से की रोज शाम को ये सजती क्यों है
ना पूछो उस जलती हुई समा से की वो आज भी जलती क्यों है

अगर पूछे वो किसी से भी तो
कुछ ना कहना, चाहे मेरी जान जाए
अगर किसी ने कुछ भी कह दिया तो
उनके आँखों में आशुँ ना आ जाए

तनहा नही होते ऎसे रूठा नही करते
मेरे दिल का हाल भी ऐसा ही है बस
ना पूछो इस दिवाने से
ना पूछो इस दिवाने से 


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

12:14 PM 03/02/2014
(#Rathoreorg20)
_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂

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