Thursday 18 September 2014

Tere Bager Me ( तेरे बगैर मै ) POEM NO. 190 (Chandan Rathore)


POEM NO. 190
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तेरे बगैर मै
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तेरे बगैर मै, कैसा लगता हूँ
तेरे सिवा मन मेरा लगता नही

तेरे बगैर सुना ये मंझर
तेरे लिए मै हूँ ही नही

कैसे सम्भालू अपने आप को ओ !! जालिम
जब तेरे बगैर पूरा में हूँ ही नही

इतने गम सहते हुए भी जिन्दा हूँ क्यों
तू क्या जाने मेरे जज्बात तू अब ताक समझी नही

ढूंढ रहा हूँ मै मेरे जख्मों के सवाल
दुनिया पूछे मुझे की अब तक वो तुझे मिली क्यों नही

तेरे बगैर मै अब कैसे जी रहा हूँ
तेरे बगैर मै कुछ भी नही 


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

11:48 AM 03/02/2014
(#Rathoreorg20)
_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂

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