Monday 29 October 2012

Aai Diwali (आई दीपावली) POEM No. 15 (Chandan Rathore)


POEM NO.15
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आई  दीपावली
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आई  दीपावली
संग  खुशिया  लाई
सब  को  खुश  करने  वो  आई
बाबा  मेरे  मिठाई  भी  लाना
संग  उसके  कुछ   दिये  लाना
घर  में  बने  मेने  हे  रंगोली
उसमे  हे  सतरंगी  रोली
सजा  धजा  हे  आँगन  आज
बाबा  मेने  लगाये  दिये
कर  रहा   घर  जग - मग  आज

बाबा  तुम  कितने  प्यारे
बाबा  तुम  कितने  न्यारे
तुमने  दिया  जन्म  मुझे
दुनिया  की  नजर  से  बचाया  मुझे

बाबा  कहता हे

बेटी  तू  कोमल  चंचल
तेरा   मन   धरती  सा  पावन
बेटी  तू  आई  मेरे  जीवन   में
सुनी  दीपावली   में  रंग  भरने
में  न  बचाता  तुम्हे  तो  कोन  बनाता  रंगोली  आज
कोन  करता  मुझ   पे  नाज
 
चारो  और  रौशनी  ही  रोशनी
अँधेरे  का  नाम  नही
बेटी  बचालो  साथियो 
उसमे  कोई  नुकसान   नही

हाथ बढाओ बेटी बचाओ

आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 
1:12 pm 27/10/012 

_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂

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