Wednesday 10 October 2012

Beti ek gulshan he (बेटी एक गुलशन हे) POEM No. 6 (Chandan Rathore)

POEM NO. 6
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बेटी एक गुलशन हे 
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बेटी एक गुलशन हे 
बघिया  का चमन का 
खिलने दो महकने दो 

बेटी करेगी हर सपना पूरा 
बचपन से लेके समशान  तक 
बेटी का अपमान ना कर ऐ इंशान
क्या भूल गया माँ भी तो किसी की बेटी थी 
बेटी को दो सम्मान 
बेटी को दो तुम ज्ञान 
वही करेगी तुम्हारा नाम 
वही बढ़ाएगी संसार 
क्यों मार कर उसे करते हो पाप
गलती ही थी तो पैदा हुई ना करना था  
पैदा जब किया तो मुझे जीवन दान क्यों नही दिया 


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

 1:31pm, 5.09.012


_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂_

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