POEM NO. 14
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बेटिया
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दिये की रोशनी सी हे बेटिया
जलती लोह सी शांत हे बेटिया
दिये के तेल सी शीतल हे बेटिया
नदी के पानी सी चंचल हे बेटिया
घर के आँगन की रंगोली जेसी he बेटिया
गंगा जल सी पवित्र हे बेटिया
हरिद्वार सी पावन हे बेटिया
बेटी घर का गहना
माँ घर का भगवान
पत्नी घर का नूर
बहन घर का नाज
हाथ बढाओ बेटी बचाओ
आपका शुभचिंतक
1:29 pm 27/10/012
लेखक - राठौड़ साब "वैराग्य"
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1:29 pm 27/10/012
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