POEM NO. 8
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खड़ा हु उस मंजर पर
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खड़ा हु उस मंजर पर जहा कोई सहारा देने वाला नही
टूट जाऊँगा कभी भी कोई थामने वाला नही
मरूँगा सान से पर जिंदिगी भर किसी के सहारे की जरूरत नहीं थी मुझे
जिया सान से मारा भी सान से आज मुझे किसी की जरूरत नही
जो आया मुझे इस्तेमाल किया मेरे पास बेठा पर किसी ने मुझे पहचाना नही
कोई देख लेता अपने गम में मेरा भी गम तो समझ पता मुझे
दर्द के दरिया में अकेला हु सब ने चाहा पर किसी ने अपनाया नही मुझे
आपका शुभचिंतक
लेखक - राठौड़ साब "वैराग्य"
समय -: 9:32 am
दिंनाक:-14-10-012
_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂_
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