Wednesday 10 October 2012

Gale laga le maa (गले लगा ले माँ) POEM No. 1 (Chandan Rathore)


POEM NO.1
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गले लगा ले माँ
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आईना देख के मुझको  बोलो
क्या हुआ तेरी सूरत को
मुझसे ना रहा गया और अशुओ की बरसात हो गई


तेरे लिए दुनिया  की सारी खुचिया ला दू
तेरे लिए सारा जहा लुटा दु   बस एक बार गले से लगा ले माँ
तेरा ही हु तेरा ही रहूँगा बस एक बार बेटा तो बुलादे माँ
तेरे एहसान तो में क्या चुकाऊ वो तो भगवान  भी नही चूका सकता बस एक बार साइन से लगा दे माँ
सो गया ये जहा पर में अकेला हु माँ बस एक बार गोदी सुला दे माँ
माना में बुरा हु पर इतना भी नही जो तू मुझसे नाराज हो जाए  माँ
माना मेने कभी कोई ऐसा काम नही किया जिस से तेरा सर फक्र से ऊचा हो बस अपने कदमो में जगह दे दे माँ
माँ तेरी बहुत याद  आती हे तू कहा हे माँ आ आज तेरी बहुत याद आ रही हे माँ
माँ तेरे हाथो का खाना खाए बहुत दिनों से बस एक बार अपने  हाथ  से खिलादे माँ

माँ माँ माँ गले लगा ले माँ

आई लव यू माँ



आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

11:51 pm, 29,march 2012

_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂_

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