अरे बेटी को मारते हो बेटी क्या होती हे ये हम आप को बताते हे हमारे विचारो से
बेटी एक सम्मान हे जो सब को मिलना चाहिए
बेटी एक इज्ज़त हे जो हर घर को मिलनी चाहिए
बेटी एक नूर हे जो हर तरफ चमकना चाहिए
बेटी एक उपकार हे जो सब पर होना चाहिए
बेटी दो घर को चलाती हे
बेटी दो परिवारों को शिक्षित करती हे
लड़की सब को चाहिए पर बेटी किसी को नही ऐसा क्यों ?
एक भाई को बहन चाहिए
एक प्रेमी को प्रेमिका चाहिए
एक पति को पत्नी चाहिए
पर एक बेटी किसी को नही चाहिए ऐसा क्यों ?
अरे मारना ही हे तो अपने अहंकार को मारो
मारना ही हे तो अपने अन्दर के जानवर को मारो
बेटी को क्या मारते हो वो भी अजन्मी बेटी को
जो इस संसार में आने के सपने देख रही हे उसे क्यों मारते हो हा ?
अब भी वक्त हे संभल जाओ वरना एक भी बेटी नही रहेगी
और तुम इन सब अनुभव से वंचित रह जाओगे
माँ का प्यार
बहन का दुलार
पत्नी की सेवा
प्रेमिका की छाया
दादी का आचार
माँ की हाथ की रोटी
कन्या दान
अरे
मेरे दोस्तों हर संपन आदमी के पीछे भी एक ओरत का ही हाथ होता
हे सोचो उस हाथ को ही तोड़ दिया तो क्या होगा ?
जेसे बिन पानी मछली बन जाओगे
हाथ बढाओ बेटी बचाओ
आपका शुभचिंतक
लेखक - राठौड़ साब "वैराग्य"
११ :३६
_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂_
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