Tuesday 16 October 2012

Mat kar abhiman re bandhe (मत कर अभिमान रे बंधे) (गाना) (SONG) POEM No. 9 (Chandan Rathore)


POEM NO. 9
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मत कर अभिमान रे बंधे
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मत कर अभिमान रे बंधे (2)
मिटटी  में मिल जायेगा
कोई ना तेरा साथी जो, तेरे साथ है  जायेगा

अपने  कर्मो से रे बंधे (2 )
तू धरती से  तर जायेगा
मत कर अभिमान रे बंधे (2)
मिटटी  में मिल जायेगा

करना  होगा काम  जो उनका सब तुझको  ही बोलेगे
तूने बताया काम जो अपना सब तुझसे मुख मोडेगे
आया अकेला इस  दुनिया   में (2)
अकेला तू जाएगा
मत कर अभिमान रे बंधे (2)
मिटटी  में मिल जायेगा

पाना हे तो भगवान को पाले
वो   ना तुझको छोड़ेगा
कलयुग    पे रखेगा भरोसा
तू कभी  ना   तर पायेगा
मान ले ये बात पते की (2)
कलयुग से तर जायेगा
मत कर अभिमान रे बंधे (2)
मिटटी  में मिल जायेगा

जिस  की जरुरत तुझको होती वो ना तुझको मिल पायेगा
जो नसीब में होगा तेरे वो ही तू पायेगा
मत कर अभिमान रे बंधे (2)
मिटटी  में मिल जायेगा

पैसा होगा तेरे पास तो, तू सब को ही पायेगा
हुआ गरीब जो पेसो से तू सबका दुश्मन कह लायेगा
सोच ले अब भी वक्त हे बंधे बंधे
फिर तू बहुत पछतायेगा
मत कर अभिमान रे बंधे (2)
मिटटी  में मिल जायेगा

आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

 9:31 AM
16-10-2012

_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂

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