POEM NO. 2
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माँ बेटी की बाते
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मेरा मन्न देखने को तरसे ये संसार
मुझे भी माँ की गोद में खेलने का हक़ हे
मेरे भी कुछ सपने हे जो में अपने माँ और पिता जी के लिए करना चाहती हु
मुझे मरने से आप लोग तो किसी ना किसी दाग से बाख जाओगे पर क्या कभी अपने आप को माफ़ कर पाओगे
जब देखोगे कीसी की बच्ची को किसी की गोद में तो में जरुर याद आउंगी
जब कोई बच्ची स्कुल जायेगी तो में याद आ ही जाउंगी
जब किसी की बेटी अपनी माँ को माँ कह के बुलाएगी तो में जरुर याद आउंगी
फिर तुम पछताओगी कास में उसे नही मरती तो आज में भी किसी की माँ होती
माँ तू अपने आप को दोस मत देना तूने तो अच्छा काम किया हे अपना फर्ज पूरा किया हे पर में तुझे कभी माफ़ ना कर पाउंगी
माँ जब कोई बेटी अपने माँ और पिता का नाम रोशन करेगी तो में जरुर याद आउंगी
माँ अब आसू पोछले वरना में और मर जाउंगी तेरी याद में
माँ माँ माँ मेरी माँ मेरी माँ
आपका शुभचिंतक
लेखक - राठौड़ साब "वैराग्य"
5:37 pm,March 23 ,2012
_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂_
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