Poem No. 91
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मर्द
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कहाँ हैं वो मर्द, कहा है वो हमारे हमदर्द
कहाँ हैं वो दरिन्दे ,जो दे रहे हैं अपनी बहनों को दर्द
जो बन गये हैं हमारे दुश्मन, बचाने अब हमें आएगा कोनसा मर्द
कोन आता हैं होश में और देखना है अब कोन बनता हैं सबसे पहले मर्द
छुप रहे हैं घरों में अपने , इंतजार हैं क्या अपने पे बितने की
कब जागोंगे और कितना भागोंगे , सीमा भी पार कर ली अब तो जुल्मो की
आश ना रखों अब बिके हुए इंसानों से
बन जाओ मर्द और निकल जाओं आशियानों से
खुबसूरत बनाना हैं समाज तो, हमें आगे आना होगा
कर रहे समाज को जो गन्दा ,उन्हें आज हमें मिलकर हटाना होगा
बनों नोजवान तुम ना घबराओ अब इन भुत पिसाचों से
कब तक डरोंगे कब तक सहोंगे, अब भिड जाओ इन हेवानो से
सजा इन्हें देनी हैं या मोज मनवाओंगे जेलों में
जितना दर्द उन्हें हुआ क्या दे पाओंगे उन्हें जेलों में
सब अपना मत देते हैं पर कोई ना हाथ बढ़ता
दुनिया की नजर में रे बंधें ,तू कायर कहलाता
जो रक्षा करता सब की वो मर्द कहलाता
अपने समाज की बुराई को जो जड़ से मिटाता
ओरत को ओरत जो समझे वो मर्द कहलाता
मर्द बन जाओ रे इंसानों अब तो मर्द बन जाओ
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मर्द
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कहाँ हैं वो मर्द, कहा है वो हमारे हमदर्द
कहाँ हैं वो दरिन्दे ,जो दे रहे हैं अपनी बहनों को दर्द
जो बन गये हैं हमारे दुश्मन, बचाने अब हमें आएगा कोनसा मर्द
कोन आता हैं होश में और देखना है अब कोन बनता हैं सबसे पहले मर्द
छुप रहे हैं घरों में अपने , इंतजार हैं क्या अपने पे बितने की
कब जागोंगे और कितना भागोंगे , सीमा भी पार कर ली अब तो जुल्मो की
आश ना रखों अब बिके हुए इंसानों से
बन जाओ मर्द और निकल जाओं आशियानों से
खुबसूरत बनाना हैं समाज तो, हमें आगे आना होगा
कर रहे समाज को जो गन्दा ,उन्हें आज हमें मिलकर हटाना होगा
बनों नोजवान तुम ना घबराओ अब इन भुत पिसाचों से
कब तक डरोंगे कब तक सहोंगे, अब भिड जाओ इन हेवानो से
सजा इन्हें देनी हैं या मोज मनवाओंगे जेलों में
जितना दर्द उन्हें हुआ क्या दे पाओंगे उन्हें जेलों में
सब अपना मत देते हैं पर कोई ना हाथ बढ़ता
दुनिया की नजर में रे बंधें ,तू कायर कहलाता
जो रक्षा करता सब की वो मर्द कहलाता
अपने समाज की बुराई को जो जड़ से मिटाता
ओरत को ओरत जो समझे वो मर्द कहलाता
मर्द बन जाओ रे इंसानों अब तो मर्द बन जाओ
आपका शुभचिंतक
लेखक - चन्दन राठौड़
9:37 PM 27/04/2013
_▂▃▅▇█▓▒░ Chandan Rathore (Official) ░▒▓█▇▅▃▂_