Saturday 13 April 2013

Hindi Hamari Bhasha "हिन्दी हमारी भाषा" Poem No.80 (Chandan Rathore)



POEM No.80

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"हिन्दी हमारी भाषा"
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बचा पाँऊ मैं हिन्दी को बस ये ही हैं मेरी अभिलाषा
विचार विनिमय का माध्यम हैं भाषा
कही ख़त्म ना हो जाए हिन्दी हमारी ये भाषा

ख़त्म हो रहा उसका प्रचलन ख़त्म हो रही उसकी आशा
कैसे बढ़ाये इन लोगो में हिन्दी बोलने की जिज्ञाषा

जो भूल गए हिन्दी भाषा को अब तो भर गया उनका कलसा
शुरू करो अब बोलना हिन्दी फिर देखो कैसे रोज होता जलशा

पूरा हिन्द बोले हिन्दी बस इतनी सी हैं आकांशा
ख़त्म हो गई आज हिन्दी ख़त्म हो गई उसकी अवस्था
पर गर्व करूँगा मैं मुझ पर की आज बोल रहा हूँ मैं हिन्दी भाषा
ख़त्म हो रही लोगो की हिन्दी ख़त्म हो रही अपनी भाषा

अथाः है अपनी हिन्दी उसकी न होती हैं व्याख्या
कैसे लोग हो गए हैं कैसी मंद हो गई उनकी मनीषा

क्या भूल गये जन्म हुआ हैं हिंदुस्तान में हिन्दी तुम्हारी हैं भाषा
अब तो बोलो की आगे हैं हिन्दी बोलने की तुम्हारे मन में भी लालसा

आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

10:04 PM 11/04/2013
(#Rathoreorg20)
_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂

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