Wednesday 3 April 2013

Tumhari Yaade (तुम्हारी यादें . . . ) Poem No. 76 (Chandan Rathore)


Poem No.76
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तुम्हारी यादें . . .
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भुला तो  दे  पर  तुम्हारी  यादे  हमें  बहुत  परेशान  करती  है |
भुलाना चाहते नही फिर भी कोशिश तो करनी है |

तुम याद करोगे किस लिए प्यार की कहानी तो हमें लिखनी है |
हमारी  किताब के पन्नों की हर लाइन भी तो तुम्ही से बननी है |

दर्द बहुत भर दूंगा  मेरी जिन्दगी में
तुम्हारे बगैर  जिन्दगी तो हमें बितानी है |

क्यों करते हो इतनी  शिकायत हमसे की याद बहुत करते हो तुम 
हम कहते है अगर ख़त्म भी हो गई स्याही तो
खून से किताब को पूरी तो करनी है
आखिर वो किताब भी तो तुम पे लिखनी है

तुम दर्द भरते रहे हम लिखते रहे
तुम रुलाते  रहे हम जी भर रोते रहे
अब तो कभी कभी कलम भी रो देती है सनम
फिर भी लिख लिख कर दुनिया को अपनी जिन्दगी बयां  करनी है

जब मुझ पे गुस्सा करती है तो वो खुश रहती है
जब मै उसे मनाता हूँ  तो वो हँस पड़ती है

"ना करो इतना गुस्सा हम पे
कही हम नाराज ना हो जाए
तुम्हारी मुस्कुराहट  के मोहताज है वरना
इतना दम रखते है की हम भी नाराज हो जाए "


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

8:05 PM 03/04/2013
(#Rathoreorg20)
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