Sunday 21 April 2013

Tera Gam (तेरा गम . . .) POEM NO. 86 (Chandan Rathore)


POEM No.86
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तेरा गम . . .
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ढूंढ़ रहा में भी एक सच्चाई . . .
मिली नही आज तक मुझ में  किसी को अच्छाई . . .

छोड़ जाती वीरानियों मैं साथ मेरी अपनी परछाई . . .
कोई तो आगे आये और थामले मेरी कलाई . . .

दे कर मुझे दुःख वो नासमझ बहुत इठलाई . . .
पर उसे भी बहुत सतायेंगी मेरी जुदाई . . .

हर बात मैं  समझाता रहा दुनिया को . . .
पर मुझे एक बात भी किसी ने ना समझाई . . .
ढूंढ़ रहा मेरे दुखों की सच्चाई  . . .

प्यार में तो होती रहती हैं  सब की लड़ाई . . .
फिर क्यों तुमने उसे मगरूर होके निभाई . . .

कोन बुरा नहीं  हैं जग में , मुझ मे  भी है बहुत बुराई. . .
पर उसकी सजा इतनी तो नहीं, कि हो जाए जिन्दगी भर की जुदाई . . .

"दे कर मुझें गम हमेशा खुश रहना तुम . . .
क्यों की तुम्हे रोना बहुत पड़ेगा जब होगी मेरी दुनिया से विदाई . . ."


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

4:03 PM 19/04/2013
(#Rathoreorg20)
_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂ 

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