कविता नम्बर ७५
Poem No. 75
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दीदी बहुत याद आती हो ....
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जो मुझे देख कर चिल्ला उठती थी
जो मुझे हर दम ढ़कन कहती थी
आज वो नाराज हे मुझसे और बात नही करती
"साथ हु तुम्हारे हर दम " वो हमेशा कहती थी
में उसे दीदी दीदी कहता हर पल
बुलाता उसे में हर दम रो रो कर
वो बात भी नही करती ऑनलाइन होकर
एक गलती उसकी भी माफ़ी नही होती क्या
दे दो माफ़ी अब तो इतनी सजा क्या
याद हे जब पहली बार मिले तो मुझे गले से लगा लिया था
अब ये तो बताओ आज मुझसे जुदा क्यों हो
तुजसे मिलने का समय 30 मिनिट उसमे ही जिन्दगी जी ली मेने
अब तो हँस दे मेरी प्यारी दीदी देख कान पकड़ कर सॉरी भी कलह दी मेने
केसे रहूँगा तुम बिन तू ही तो सब कुछ हे मेरा
रखूँगा ख्याल हमेसा बस सुनले न एक पैगाम मेरा
माफ़ी देदो अब तो वरना दूर बहुत चला जाऊंगा
फिर में तुम्हे कभी ना सताऊंगा . . . सची.. . .
बहुत याद आती हे दीदी तुम्हारी . . .
only for my COFFEY didi
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दीदी बहुत याद आती हो ....
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जो मुझे देख कर चिल्ला उठती थी
जो मुझे हर दम ढ़कन कहती थी
आज वो नाराज हे मुझसे और बात नही करती
"साथ हु तुम्हारे हर दम " वो हमेशा कहती थी
में उसे दीदी दीदी कहता हर पल
बुलाता उसे में हर दम रो रो कर
वो बात भी नही करती ऑनलाइन होकर
एक गलती उसकी भी माफ़ी नही होती क्या
दे दो माफ़ी अब तो इतनी सजा क्या
याद हे जब पहली बार मिले तो मुझे गले से लगा लिया था
अब ये तो बताओ आज मुझसे जुदा क्यों हो
तुजसे मिलने का समय 30 मिनिट उसमे ही जिन्दगी जी ली मेने
अब तो हँस दे मेरी प्यारी दीदी देख कान पकड़ कर सॉरी भी कलह दी मेने
केसे रहूँगा तुम बिन तू ही तो सब कुछ हे मेरा
रखूँगा ख्याल हमेसा बस सुनले न एक पैगाम मेरा
माफ़ी देदो अब तो वरना दूर बहुत चला जाऊंगा
फिर में तुम्हे कभी ना सताऊंगा . . . सची.. . .
बहुत याद आती हे दीदी तुम्हारी . . .
only for my COFFEY didi
आपका शुभचिंतक
लेखक - राठौड़ साब "वैराग्य"
(Facebook,Poem Ocean,Google+,Twitter,Udaipur Talents, Jagran Junction , You tube , Sound Cloud ,hindi sahitya,Poem Network)
9:01 Am, 2/4/013
(#Rathoreorg20)
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