Saturday 13 April 2013

Naari (नारी) Poem No.77 (Chandan Rathore)


 

POEM No.77
------------
नारी
------------

हर कदम पे हताश वो प्यारी
गम सहते हुए फूलो की वो क्यारी
कितनी परेशान है नारी कैसी है आज की नारी

कोई हाल ना पूछे उनका फिर भी सबका ख्याल रखती है नारी
कभी ना कोई करता परवाह उनकी फिर भी खुशहाल है नारी

नारी की उत्पिडा ही उसका सिंगार है
फिर भी आज बहुत खुश है नारी

हाथ बढ़ाने से डरते है सब
कोई हाथ बढ़ाने को तैयार नही
इसलिए तो गुमनाम है नारी

हर दुःख को अपने ऊपर लेती
हर पीड़ा वो सहन करती
फिर भी हर दम मुस्कुराती है नारी

हर नया कदम बढ़ाने पे वो घबराती
क्यों की रास्ते में कई अपवादों की टोली उसके आड़े आती
फिर भी आज हर कदम पे सर्वप्रथम है नारी

"ना ना करो नारी अब
बढाओ कदम नारी अब
अब समय नही है चुप रहने का
प्रण करो सबसे आगे होगी नारी अब"

आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

9:04 AM 04/04/2013
(#Rathoreorg20)

_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂

No comments:

Post a Comment

आप के विचारो का स्वागत हें ..