Monday 22 April 2013

Aaj Shokakul Hu Me (आज शोकाकुल हूँ मैं) Poem No.89 (Chandan Rathore)


Poem No.89
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आज शोकाकुल हूँ  मैं 
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हो रहा हैं कोलाहल सब तरफ कैसी  ये हलचल
जहाँ  जाए बस एक ही बात हैं ,बेटी तू ध्यान  से चल

क्या हो रहा हैं आज लोगों को,राष्ट्र भी शोकाकुल हैं
क्योंकि यहाँ छोटी सी बच्ची भी सुरक्षित  नहीं  हैं

कैसी  हैं ये पुरवाई इस भंवर  मैं  बेटी ही क्यों आई
बार बार पूछूँ  मैं  हर इंसानों से, इस दरिंदगी मैं बेटी ही क्यों आई

सोचो और समझो कभी अपनी उमीदों का फुल ना मुरझाये   
दूसरे की बेटी को अपनी बेटी सा  समझो , शायद सब ख़त्म हो जाए

कितनी तकलीफे सह रही हैं नारी उसे भी तुम कुछ अधिकार दो
सारे कुकर्म (देहज,रेप,...अन्य) से अब तो उसे तुम निजात  दो

आँखे भर आती हैं , अब देखा नहीं  जाता ये सब
सरकार कब कुछ  करेंगी  पता नहीं  कब ख़त्म होगा ये सब


आपका शुभचिंतक
लेखक -  राठौड़ साब "वैराग्य" 

9:16 AM 21/04/2013
(#Rathoreorg20)
_▂▃▅▇█▓▒░ Don't Cry Feel More . . It's Only RATHORE . . . ░▒▓█▇▅▃▂

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