POEM No.83
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बेटियों का जीवन
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जब पैदा होने में ही इतना संघर्ष
तो आगे क्या ,हमारा होगा जीवन
जन्म पर ही मार देते है ,नाजुक कलियों को
कही अगर बच जाये तो ,क्या हमारा होगा जीवन
जन्म की पीड़ा भरी स्थति से उभर पाती
उसके पहले ही समाज के लोगो के, ताने सुनवा दिये माँ को
ऐसी दरंदगी भरी दुनिया में बोलो, क्या होगा हमारा जीवन
थोड़े जब बड़े हुए हम ,सहन शक्ति भी बढ़ गई
पहले समाज था ,अब पूरा संसार है
कुछ लोगों की गंदगी भरी, नजरों से आज बच भी गए
तो सोचो कैसा होगा , हमारा आगे का जीवन
कुछ दरिन्दे लोग है ,जो हमारी बहनों के साथ दुर्वव्हार करें
जो संसार के नियमों की, रेखाओं को भी पार करें
ना मिलता इस संसार में, उनको इन्साफ
जिनकी लज्जा को ,वो बीच राह में तार-तार करें
फिर कोई अगर बच जाती, उनकी दरिंदगी से
तो इस संसार में , उनका क्या होगा जीवन
तमाशा देख रहा हैं , आज जमाना
फिर भी कईयों ने ,अभी तक भी हमारा महत्व ना पहचाना
घर की चार दीवारों में ,बंद हो गया हमारा फ़साना
अगर हम ना हो जीवन में तो , क्या होगा जीवन तुम्हारा "जरा बताना"
जैसे - तैसे बच गए, ज़माने के अपवादों से
शादी कर अलग हो गई , अपने भगवानों से
माँ बनी परिवार को संभाला, बड़े अरमानों से
अब इतने बलिदानों के बाद ,फिर भी अंधकार में हमारा जीवन
फिर बेटी के लिए ,लोगों के ताने सुने मेने
तो फिर भी हिम्मत कर , उसके आने के सपने बुने
जैसे - तैसे बेटी हुई , उसका भी बिछड़ा हुआ वो बचपन
क्या था मेरा जीवन ,और क्या होगा बेटी का जीवन
कैसे जिन्दा रहे हम, इस धरती पे
जहाँ कदम कदम पे खतरा हो
बलिदान सिर्फ हम करे
फल हमेशा कोई और खाता हो
कई नारी पे अत्याचार होते, पर सामने कभी ना वो आती
कितने भी कोड़े पड़े , फिर भी ना आंसू बहाती
बंद करदो अब रुलाना हमको
ना अगर हम बचे तो , क्या चला पाओंगे तुम्हारा जीवन
"आज बिछड़ा हैं जीवन हमारा
पता नहीं कब सुधरेगा समाज हमारा
आशा हैं हमें कोई तो आएगा
जो हम बेटियों के जीवन में खुशियाँ लायेगा "
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बेटियों का जीवन
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जब पैदा होने में ही इतना संघर्ष
तो आगे क्या ,हमारा होगा जीवन
जन्म पर ही मार देते है ,नाजुक कलियों को
कही अगर बच जाये तो ,क्या हमारा होगा जीवन
जन्म की पीड़ा भरी स्थति से उभर पाती
उसके पहले ही समाज के लोगो के, ताने सुनवा दिये माँ को
ऐसी दरंदगी भरी दुनिया में बोलो, क्या होगा हमारा जीवन
थोड़े जब बड़े हुए हम ,सहन शक्ति भी बढ़ गई
पहले समाज था ,अब पूरा संसार है
कुछ लोगों की गंदगी भरी, नजरों से आज बच भी गए
तो सोचो कैसा होगा , हमारा आगे का जीवन
कुछ दरिन्दे लोग है ,जो हमारी बहनों के साथ दुर्वव्हार करें
जो संसार के नियमों की, रेखाओं को भी पार करें
ना मिलता इस संसार में, उनको इन्साफ
जिनकी लज्जा को ,वो बीच राह में तार-तार करें
फिर कोई अगर बच जाती, उनकी दरिंदगी से
तो इस संसार में , उनका क्या होगा जीवन
तमाशा देख रहा हैं , आज जमाना
फिर भी कईयों ने ,अभी तक भी हमारा महत्व ना पहचाना
घर की चार दीवारों में ,बंद हो गया हमारा फ़साना
अगर हम ना हो जीवन में तो , क्या होगा जीवन तुम्हारा "जरा बताना"
जैसे - तैसे बच गए, ज़माने के अपवादों से
शादी कर अलग हो गई , अपने भगवानों से
माँ बनी परिवार को संभाला, बड़े अरमानों से
अब इतने बलिदानों के बाद ,फिर भी अंधकार में हमारा जीवन
फिर बेटी के लिए ,लोगों के ताने सुने मेने
तो फिर भी हिम्मत कर , उसके आने के सपने बुने
जैसे - तैसे बेटी हुई , उसका भी बिछड़ा हुआ वो बचपन
क्या था मेरा जीवन ,और क्या होगा बेटी का जीवन
कैसे जिन्दा रहे हम, इस धरती पे
जहाँ कदम कदम पे खतरा हो
बलिदान सिर्फ हम करे
फल हमेशा कोई और खाता हो
कई नारी पे अत्याचार होते, पर सामने कभी ना वो आती
कितने भी कोड़े पड़े , फिर भी ना आंसू बहाती
बंद करदो अब रुलाना हमको
ना अगर हम बचे तो , क्या चला पाओंगे तुम्हारा जीवन
"आज बिछड़ा हैं जीवन हमारा
पता नहीं कब सुधरेगा समाज हमारा
आशा हैं हमें कोई तो आएगा
जो हम बेटियों के जीवन में खुशियाँ लायेगा "
आपका शुभचिंतक
लेखक - राठौड़ साब "वैराग्य"
17:04 PM, Wed 17-04-2013
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